Monday, December 18, 2006

मेरी बात --




मैने इस ब्लाग मे सद््गुऊ ओशो के द्वारा िचिकत्सा पर िदए िवचारो को एक स्थान पर रख्ने की कोिशश की है. आशा है यह िचिकत्सको के िलये लाभदायक होगा.

2 comments:

Dr Prabhat Tandon said...

ओशो का दृष्टिकोंण जीवन के प्रति और धर्मों की तुलना में अधिक सजग और व्यवाहारिक दिखता है, बगैर बातों को घुमाये वह जो बातें कह देते हैं , वह कडवी तो होती हैं लेकिन दिल और दिमाग को झकझोर देने वाली भी होती हैं। चिटृठा जगत मे आपके कदम का स्वागत है।

Dr Prabhat Tandon said...

बहुत दिन हो गये कोई पोस्ट किये , कहाँ हैं , आप