ओशो का दृष्टिकोंण जीवन के प्रति और धर्मों की तुलना में अधिक सजग और व्यवाहारिक दिखता है, बगैर बातों को घुमाये वह जो बातें कह देते हैं , वह कडवी तो होती हैं लेकिन दिल और दिमाग को झकझोर देने वाली भी होती हैं। चिटृठा जगत मे आपके कदम का स्वागत है।
बहुत दिन हो गये कोई पोस्ट किये , कहाँ हैं , आप
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ओशो का दृष्टिकोंण जीवन के प्रति और धर्मों की तुलना में अधिक सजग और व्यवाहारिक दिखता है, बगैर बातों को घुमाये वह जो बातें कह देते हैं , वह कडवी तो होती हैं लेकिन दिल और दिमाग को झकझोर देने वाली भी होती हैं। चिटृठा जगत मे आपके कदम का स्वागत है।
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